सर सैयद अहमद खाँ वाक्य
उच्चारण: [ ser saiyed ahemd khaan ]
उदाहरण वाक्य
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- [संपादित करें] सर सैयद अहमद खाँ
- सर सैयद अहमद खाँ: आसारूस्सनादीद;
- सन् 1920 में सर सैयद अहमद खाँ ने अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय की स्थापना की।
- उन्हें सर सैयद अहमद खाँ की अंग्रेज परस्ती फूटी ऑंखों नहीं भाती थी ।
- सन् 1920 में सर सैयद अहमद खाँ ने अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय की स्थापना की।
- दुर्भाग्यवश इस बार जिन्ना या सर सैयद अहमद खाँ मुसलमान नहीं हैं बल्कि हिन्दू हैं।
- उर्दू का पक्ष सर सैयद अहमद खाँ को, तो हिन्दी का पक्ष भारतेंदु हरिश्चन्द्र को रखना था।
- सर सैयद अहमद खाँ के साथी शिब्ली नौमानी ने इस्लाम के पैगम्बर हज़रत मोहम्मद की आत्मकथा की पहली किताब,
- अलीगढ़ में मुसलमानों के सबसे बडे़ नेता सर सैयद अहमद खाँ स्वामी जी से भेंट करने कई बार आए।
- अकबर साहब पं0 मदनमोहन मालवीय के मित्र थे जबकि उन्हें सर सैयद अहमद खाँ की अंग्रेज परस्ती फूटी ऑंखों नहीं भाती थी।
- ' बा-कमालों के दर्शन' के दूसरे संस्करण में प्रेमचंद ने दो अन्य मुस्लिम शख्सियतों-बदरुद्दीन तैयब जी और सर सैयद अहमद खाँ की जीवनियाँ भी शामिल कीं।
- सर सैयद अहमद खाँ के साथी शिब्ली नौमानी ने इस्लाम के पैगम्बर हज़रत मोहम्मद की आत्मकथा की पहली किताब, 'सीरतुन्नबी' के नाम से लिखी थी.
- पिफर से दुहरा दें कि सर सैयद अहमद खाँ के सहयोगी रहे मौलाना वहीदुद्दीन सलीम को मौलाना सलीम पानीपती के नाम से भी जाना जाता है।
- सच तो यह है कि इस अधिनियम ने सर सैयद अहमद खाँ और बार्टल फ्रेरे जैसे प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा बताई गई शासकीय त्रुटियों को दूर कर दिया।
- सर सैयद अहमद खाँ के साथी शिब्ली नौमानी ने इस्लाम के पैगम्बर हज़रत मोहम्मद की आत्मकथा की पहली किताब, ‘ सीरतुन्नबी ' के नाम से लिखी थी.
- पं0 मदनमोहन मालवीय और सर सैयद अहमद खाँ जिन दिनों हिन्दू यूनिवर्सिटी और मुस्लिम यनिवर्सिटी की स्थापना के लिये प्रयास कर रहे थे उन्हीं दिनों अकबर साहब ने एक शेर कहा था-
- पंडित मदनमोहन मालवीय और सर सैयद अहमद खाँ जिन दिनों हिन्दू यूनिवर्सिटी और मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिये प्रयास कर रहे थे, उन्हीं दिनों अकबर इलाहाबादी साहब ने एक शेर कहा था:
- पं 0 मदनमोहन मालवीय और सर सैयद अहमद खाँ जिन दिनों हिन्दू यूनिवर्सिटी और मुस्लिम यनिवर्सिटी की स्थापना के लिये प्रयास कर रहे थे उन्हीं दिनों अकबर साहब ने एक शेर कहा था-
- सर सैयद अहमद खाँ ने लिखा है, सभी व्यक्ति, चाहे बुद्धिमान थे अथवा निरक्षर, सम्माननीय व्यक्ति थे अथवा नहीं, यह विश्वास करते थे कि सरकार वास्तव में सच्चे रूप में लोगों के रीति-रिवाज तथा धर्म में हस्तक्षेप करने की इच्छुक थी।
- राष्ट्रीय महासभा ' (कांग्रेस) की स्थापना की गई तो उसके कुछ समय बाद ही उसने सर सैयद अहमद खाँ तथा कई नवाबों को प्रेरणा देकर मुस्लिम लीग की स्थापना करा दी, जो जन्मकाल से ही मुसलमानों के लिए प्रत्येक क्षेत्र में पृथक् अधिकारों की माँग करने लगी।
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